हमारे संतों, भक्तों और महापुरुषों ने बार-बार चेताया है कि मनुष्यों में परस्पर किसी भी प्रकार का कोई भेदभाव नहीं होता, लेकिन आज भी हमारे समाज में भेदभाव दिखाई देता है-

(क) आपकी दृष्टि में इस कारण देश और समाज को क्या हानि हो रही है?


(ख) आपसी भेदभाव को मिटाने के लिए अपने सुझाव दीजिए।


(क) वर्तमान समाज में भेदभाव की भावना के कारण हमारे राष्ट्र और समाज को निम्न हानियाँ हो रही हैं| उदहारण के तौर पर देखें तो-

1. सामाजिक भेदभाव के कारण वर्तमान समाज वर्गीकृत हो गया है और इस कारण से समाज की एकता समाप्त हो गयी है|


2. समाज में भेदभाव के कारण लोगों के बीच आपसी भेदभाव पैदा हो गए हैं इससे सामाजिक शान्ति पर असर पड़ता है|


3. सामाजिक भेदभाव के कारण समाज का एक वर्ग दूसरे वर्ग को हीन दृष्टि से देखता है और इसी कारण से उनके बीच झगडे, आंतरिक कलह आदि समस्याएँ पैदा हो जाती हैं|


4. धर्म, जाति आदि के आधार पर भेदभाव के कारण उनके मध्य त्यौहारों, रीति-रिवाजों के आधार समस्याएं पैदा हो जाती हैं


5. समाज में विभिन्न वर्गों के बीच आपसी भेदभाव के कारण एक वर्ग दूसरे वर्ग को संदेह और अविश्वास की दृष्टि से देखता है और इस कारण से उन वर्गों के बीच खींचतान बढ़ती है|


6. हमारी सहिष्णुता समाप्त होती जा रही है। आक्रोश बढ़ता जा रहा है, जिसका परिणाम उग्रवाद तथा अलगाववाद के रूप में हमारे सामने आ रहा है।


(ख) आपसी भेदभाव को मिटाने के लिए कुछ सुझाव निम्नलिखित हैं-


1- समाज में रहने वाले विभिन्न वर्ग, धर्म, जाति के लोगों को अपने नाम के साथ अपनी धार्मिक, जातिगत, वर्गगत पहचान को लिखना बंद कर देना चाहिए| जिससे समाज में भेदभावपूर्ण वर्गीकरण में कमी आएगी|


2- अंतर्जातीय विवाह को बढ़ावा देने के लिए सरकार और समाज को आगे आना चाहिए ताकि विभिन्न जातियों के बीच मधुर संबंधों का निर्माण हो जोकि समाज में शान्ति स्थापित करने में सहायक है|


3- विद्यालयों के शिक्षा पाठ्यक्रम में जातिगत, धार्मिक एवं अन्य प्रकार के भेदभाव के कारण समाज में उत्पन्न समस्याओं के बारे में विस्तार से बताया जाना चाहिए ताकि भविष्य के नागरिक उस तरीके का व्यवहार न करें|


4. धार्मिकता, जातीयता, क्षेत्रीयता, भाषावाद के आधार पर राजनीति करने वाले लोगों को मत देना बंद कर देना चाहिए ताकि इस प्रकार की राजनीतिक विचारधाराओं पर रोक लगाई जा सके|


5. शिक्षा इस समस्या से निपटने का सबसे कारगर तरीका है| अतः राष्ट्र के सभी नागरिकों की गुणवत्तापूर्ण शिक्षा तक पहुँच सुनुश्चित की जानी चाहिए|


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